वो कहती हैं, किसी और गली जाने लगे हो।
ऐसी वो कौन सी बात है, जो छिपाने लगे हो।।
खाये थे वो जो मिलकर कसमे, रोज मिलने की।
क्या हुआ जो, मुझे देखकर मुँह छिपाने लगे हो।।
वो जो कहती थी कभी रोयेंगे न हम, तेरे जाने के बाद।
कोने में सब से छुप-छुप कर, जो आंसू बहाने लगे हो।।
वो जो कहते थे, नही सुनेंगे गीत दुख भर, तुमसे बिछड़ के।
आज गली-गली में भटक कर दर्द-भर गीत गाने लगे हो।।
कुछ तो ऐसी बात होगी उसमे, जो चली गई मुझे छोड़कर।
पर सुना है याद करके मेरी मोहब्बत को, पछताने लगे हो।।
काश सलाह ले ली होती, जाने से पहले मुझे छोड़कर।
ये आह है! तेरे दीवाने की, जो तुम दर-दर की ठोकरे खाने लगे हो।।
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🌻💓 अशवनी साहू 💓🌻
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