🥦🍅🥦 *तोर बारी के पताल* 🥦🍅🥦
पेड़ दिखत हे हरियर-हरियर,
फरे हावय लाले-लाल।
खाय म बड़ मिठाथे गोरी,
तोर बारी के पताल।
देख के तोला गली-खोर म,
कइसे होवत हे बवाल।
कइसे देवत हस तेला बता,
तोर बारी के पताल।
जम्मो ले बर कुददे परत हे,
नाचत हे सब कमाल।
अऊ कब आबे बेचे बर तैहा,
तोर बारी के पताल।
का होगे हे ये टुरा मन ल,
कहिथें चुम लेतेंव तोर गाल।
साग-भाजी लेना तो बहाना हे,
मैं तो लेहु तोर बारी के पताल।
महू पहुँच गेव तोर गली म,
कहिथे बबा का हल-चाल।
एके बार म समझ आगे,
ले बर आये हे तोर बारी के पताल।
जाने बर मैं आये हव,
एक ठन हे मोर सवाल।
एतका तै बता दे मोला गोरी,
कइसे लगाये तोर बारी के पताल।
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🥗🍅🥗अशवनी साहू🥗🍅🥗
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