🌹🎍🌹 *ईमानदारी * 🌹🎍🌹
चला था आज एक बार फिर मैं,
अपनी ईमानदारी को बेचने।
लोगो ने झुठ की बोलियां ऐसी लगाई,
कि कुछ भी नही बचा बाजार में।
किसी ने नही खरीदा मेरी ईमानदारी को,
निकाल फेंका लाखो-हजार में।
बहुत कहा लोगो ने मुझे,
किस काम की तेरी ये ईमानदारी।
बेच दे इसे आज करके बेईमानी,
कही भूखी न मर जाये घर मे माँ बेचारी।
हे माँ! क्यो नही सिखाया मुझे,
झुठ बोलना और करना चोरी।
सोया नही जब भी मैं जमाने से हारकर,
क्यो सुनाती थी तू सच्चाई की लोरी।
अब तू ही बता माँ! क्या करूँ,
यहाँ सब बिका मेरी ईमानदारी छोड़कर।
क्या हो गया है इस जमाने को,
जो बेच रहे है अपनी सच्चाई को झुठ बोलकर।
याद कर सब खुश हूं आज मैं बहुत,
जो तूने मुझे नही सिखाई बुराई।
खाता हूं आज मेहनत से कमाकर,
नही चुराया मैने सम्पत्ति पराई।
तब मुझे हिम्मत मिली माँ,
तेरी सिखाई ईमानदारी की बातों से।
जिंदगी जीना है तो दूर,
रहना जमाने की झूठी मुलाकातों से।
🎍🎍🙏🙏🌹🙏🙏🎍🎍
🙏🌻अशवनी साहू 🌻🙏
चला था आज एक बार फिर मैं,
अपनी ईमानदारी को बेचने।
सजा हुआ था झुठ से बाजार,सच की कितनी है कीमत देखने।
लोगो ने झुठ की बोलियां ऐसी लगाई,
कि कुछ भी नही बचा बाजार में।
किसी ने नही खरीदा मेरी ईमानदारी को,
निकाल फेंका लाखो-हजार में।
बहुत कहा लोगो ने मुझे,
किस काम की तेरी ये ईमानदारी।
बेच दे इसे आज करके बेईमानी,
कही भूखी न मर जाये घर मे माँ बेचारी।
हे माँ! क्यो नही सिखाया मुझे,
झुठ बोलना और करना चोरी।
सोया नही जब भी मैं जमाने से हारकर,
क्यो सुनाती थी तू सच्चाई की लोरी।
अब तू ही बता माँ! क्या करूँ,
यहाँ सब बिका मेरी ईमानदारी छोड़कर।
क्या हो गया है इस जमाने को,
जो बेच रहे है अपनी सच्चाई को झुठ बोलकर।
याद कर सब खुश हूं आज मैं बहुत,
जो तूने मुझे नही सिखाई बुराई।
खाता हूं आज मेहनत से कमाकर,
नही चुराया मैने सम्पत्ति पराई।
तब मुझे हिम्मत मिली माँ,
तेरी सिखाई ईमानदारी की बातों से।
जिंदगी जीना है तो दूर,
रहना जमाने की झूठी मुलाकातों से।
🎍🎍🙏🙏🌹🙏🙏🎍🎍
🙏🌻अशवनी साहू 🌻🙏
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