🥃🍷🍸*दारु*🍸🍷🥃
🍺जगह-जगह म होयत हे दारु के शोर।
का गरीब का अमीर, कोन शरीफ हे कोन चोर।।
का गरीब का अमीर, कोन शरीफ हे कोन चोर।।
🍻चौक-चौराहा म जुरिया के करत हे, तोर चर्चा।
न धरम-न करम , होवत हे पहली तोर बर खर्चा।।
🥂हिन्दी-अंग्रेजी म अलग-अलग हे तोर नाम।
घर-परिवार ल बिगाड़ना, अऊ बर्बादी करना हे तोर काम।।
घर-परिवार ल बिगाड़ना, अऊ बर्बादी करना हे तोर काम।।
🍷कलयुगी मानुष बर, तै अमृत सामान।
पहली पीना हे दारू, बाद में होही सब काम।।
पहली पीना हे दारू, बाद में होही सब काम।।
🥃तोर सेती होवत हे, सबके बेइज्जती।
तोला पीके घर म झगरा हे, जावव कोन कोती।।
तोला पीके घर म झगरा हे, जावव कोन कोती।।
🍸बने हावय मन्दिर तोर दुनिया भर म।
शरम नई बांचे हे आज के नारी-नर म।।
शरम नई बांचे हे आज के नारी-नर म।।
🍹तोला पियत हे ये मानव समाज,
कहिथे सरकार देवत हे।
एहू सरकार का काम के,
जउन प्राण समाज के लेवत हे।।
कहिथे सरकार देवत हे।
एहू सरकार का काम के,
जउन प्राण समाज के लेवत हे।।
🍾घर-कुरिया, खेती जम्मो सिरागे, डउकी-लइका रोवत हे।
धन्य हे ये मानव समाज, आँखि बन्द कर सोवत हे।।
धन्य हे ये मानव समाज, आँखि बन्द कर सोवत हे।।
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🥦🍅अशवनी साहू🍅🥦
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