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देख-देख के मोला टुरी,
काबर तै मुस्काथस।
मैं देखथव तोला तव,
काबर बड़ लजाथस।
आँखि ले ईशारा करके,
मोला अपन पास बुलाथस।
मैं आथव तोर पास जब,
तव तै दुरिहा चले जाथस।
गोठियाहू कहिके मोर संग,
दूसर संग गोटियाथस।
रही-रही के काबर टुरी,
अइसे मोर जीव ल जलाथस।
अपन मया ल बताहू कहिके,
मन म हिम्मत जगाथस।
दाई-ददा के इज्जत खातिर,
चुपचाप रही जाथस।
जानत हव मैंहा रे गोरी,
मोर मया के गीत तै गाथस।
चिंता झन कर बइरी जमाना के,
काबर तै डराथस।
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🎍🌹अशवनी साहू🌹🎍
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