तोर बिना रानी जिनगी के,
कइसे होही गुजारा वो।
सोच के मोला बड़ दुःख लागे,
रोथे ये दिल बेचारा वो।।
तोला कइसे तरस नई आईस।
कोन बइरी तोर मन ल भाईस।।
काखर बात मान के तै,
छोड़े मोला बेसहारा वो।
सोच के मोला बड़ दुःख लागे,
रोथे ये दिल बेचारा वो।।
बिना मौत के मारे मोला तै।
काबर डगा म डारे मोला तै।।
मजधार म डोंगा फ़सगे,
मिलत नईहे किनारा वो।
सोच के मोला बड़ दुःख लागे,
रोथे ये दिल बेचारा वो।।
तोर मया म सबकुछ लूट गे।
मोर तो जिये के आसा टूट गे।।
का होगे नींद नई आवत हे।
घड़ी म बजगे बार वो।।
तोर सिवा नई देखव कोनो ल,
रही जाहव भले कुवाँरा वो।।
सोच के मोला बड़ दुःख लागे,
रोथे ये दिल बेचारा वो।।
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🌹अशवनी साहू🌹
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