हमर भाखा हमर बोली हावय भईया छत्तीसगढ़ी।
एतका दिन ले जइसे आगु बडिस, अभी अऊ आगु बढ़ी।
श्री मुकुरधर जइसे कविता लिखही, वीर नारायण जइसे लड़ही।
बदलत हे बेरा संगी, छत्तीसगढ़ अभी अऊ आगु बढ़ी।
पढ़े-लिखे हे आज जम्मो इहाँ, नइहे कोनो अढहा-अढही।
सँस्कृत, हिंदी-अंग्रेजी पढ़, अभी अऊ आगु बढ़ी।
अविश्वसनीय हे हमर छत्तीसगढ़ भैया, नवा छत्तीसगढ़ गड़ही।
भिलाई स्टील, कोरबाराय के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी।
सब कुछ हावय इहाँ संगी, तो काबर कखरो ले डरहीं।
जंगल-सफारी अऊ कानन के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी।
रतनपुर, डोंगरगढ़ चारो दिशा ले देवी-देवता रक्षा करही।
पर्यटन अऊ तीर्थ स्थल के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी।
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🎍🌹अशवनी साहू🌹🎍
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