तुमको मैं भुला न सका, ये थी मेरी चाहत।
नजर उठा के देखा तो, थी बस तेरी आहट।
हमेशा याद आती है, मुझे तेरी होठों की मुस्कुराहट।
मैंने भी मुस्कुरा के देखा, थी बस तेरी आहट।
पहली मुलाकात की, तेरी वो घबराहट।
बाहें फैला के देखा तो, थी बस तेरी आहट।
तेरी नजरो में देखा था, थी बहुत चाहत।
इस दिल को आज भी सुनाई देता है, बस तेरी आहट।
तुमने जो रूठने की, मुझसे की शरारत।
गया जो मनाने तुमको तो, थी बस तेरी आहट।
करता रहा हमारे प्यार के लिए, खुदा से ईबादत।
ऐसा लगा तुम आ गई, बस थी तेरी आहट।
बिता कर कुछ पल तुम्हारे साथ, हो गई तेरी आदत।
महसूस जो किया तुमको, तो थी बस तेरी आहट
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🎍अशवनी साहू🎍
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