*ज्ञान के गोठ*
लइका मन के भविष्य खातिर,
करथे ज्ञान के दान।
शिक्षक होथे दिया बरोबर,
सब ल ज्ञान बाँटथे एक समान।
सुरुज बरोबर जलना हे, जेखर काम।
मास्टर, गुरुजी, टीचर अऊ हे ऐखर नाम।
दुनियां सबले बड़े होथे ज्ञान के दान।
शिक्षक के काम होथे बड़ महान।
शिक्षक जइसे दिया अऊ बाती,
ओखर दिए ज्ञान सुख:-दुःख के साथी।
जिनगी म कतको बड़े विपत्ती आ जाये जइसे हाथी।
काम आथे गुरु जी के दुवारा दिए गए ज्ञान के बाती।
गुरू जी बताईस एकला रहे ले, टूट जाथे कतको पोठ लाठी।
जुर-मिल के रहे म, जम्मो के भलाई हे साथी।
मानवता बड़े होथे नई होवय जाति।
जम्मो ल मर के बनना हे एक दिन माटी।
(2)
छत्तीसगढिया हावय संगी सबले बढ़िया।
मीठ बर मीठ नई तो साप असढिया।
नांगर-बइला के संग गाड़ी कोर्रा हे निशान।
अपन मेहनत म संझा-बिहिनिया करथे काम।
दिन ल शुरू करथे बोलके हे-राम!
शुते के बेरा कहिथे भोलेनाथ भगवान।
जउन ल मान लिस अपन मित-मितान।
ओखर खातिर दे देथे अपन जान।
छत्तीसगढ़ीया ल भैया कहिथे किसान
इहा जेखर जुबान के किम्मत होथे ओला कहिथे- सियान।
जय जवान। जय किसान। जय छत्तीसगढ़।
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🙏अशवनी साहू🙏
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