कहां से चले थे कहां पहुंच गई जिंदगी।
खुशी की तलाश में उदास है जिंदगी।
यू ना व्यर्थ गवाएँ खोज में अपनी जिंदगी।
आज अभी को जिये गर खुशी से, तो खुशहाल है जिन्दगी।
अकेलेपन को ना बनने दे अपने गम का कारण।
एकांत का सदुपयोग करे तो बहाल है जिन्दगी।
राहों पर चले तो मुस्कुरा कर बात करते रहे।
आपकी मुस्कुराहट से ही खुशहाल है जिन्दगी।
दुःख तो एक हिस्सा है, खुशी को आभास कराने का।
इतनी सी बात को जो समझ गया तो निहाल है जिंदगी।
जीवन के इस सफर में तकलीफो का भंडार है।
हल्की सी मुस्कान हो होंठो पर तो आसान है जिंदगी।
*अशवनी साहू*
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