सूरता आवत बड़ वो बचपन के दिन।
खेलेन खेल रेस-टिप गिनती गिन-गिन।
संगवारी मन के झगड़ा मातय छीन-छीन।
लावन धान चुरकी भर सिला बिन-बिन।
तरिया म मछरी फ़सएन धरे गेंगरूवा गरी।
सुवा नाचे बर जाय गाये गाना नाना तरी-हरि।
भात खवाई चलय दिन भर छीन-छीन।
मंझनिया भर के खेल चलय गिन-गिन।
अशवनी साहू
Comments
Post a Comment
Thank you for comment