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बस ये कुछ दिन की दूरी है


बस ये कुछ दिन की दूरी है,
          फिर आएगी मिलन की बेला।
रब को यही मंजूर था, 
        इसलिए ये खेल उसने खेला।

तुमको पाने की चाहत में,
         मैंने भी खुशी से दुःख झेला।
बस ये कुछ दिन की दूरी है,
          फिर आएगी मिलन की बेला।

मोहब्बत में लगा है,
         ये जो दिलो का मेला।
कल तक हुआ करता था तन्हा,
         अब रहता है अकेला।

समझा लो तुम अपने दिल को,
                   ये  है बहुत जरूरी।
सात फेरे हो जाने दो,
           फिर होगी हर आरजू पूरी।

🌹अशवनी साहू🌹

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