खुशी की तलाश में भटकता रहा मैं दर-बदर।
देखा जो झाँककर तो खुशी बैठी थी मेरे अंदर।।
देखा जो झाँककर तो खुशी बैठी थी मेरे अंदर।।
बिछड़ने के गम में कई दिनों तक दुखी हो रोता रहा।
कितने दिन बीते याद में कभी जागा और सोता रहा।
कितने दिन बीते याद में कभी जागा और सोता रहा।
गम के बदलो में खुशी ढँक गई है मेरे अंदर।
बाहर आने को आतुर है खुशियों का समन्दर।
बाहर आने को आतुर है खुशियों का समन्दर।
उसके जाने से जीवन से सारी खुशी चली गई।
दुख तो हुआ बहुत पर अंदर से निकली खुशी नई।
दुख तो हुआ बहुत पर अंदर से निकली खुशी नई।
मन की चंचलता दिखा रही कही है तूफान बवंडर।
खुशी की रोशनी किसी कोने में जगमगा रही मेरे अंदर।
खुशी की रोशनी किसी कोने में जगमगा रही मेरे अंदर।
🌹 *अशवनी साहू* 🌹
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