गुजरा जब भी मैं तेरी गलीयों से,
छम-छम बजती है तेरी पायल।
क्या जादू है तेरी हिरणी सी अंखियों में,
मिलती है मेरी नजरो से और हो जाता हूँ घायल।
रोकता हुँ बहुत तेरी गलियों में जाने से,
तेरी पायल की छम-छम मेरे कानों में आने से।
छाया हुआ है हर तरफ प्यार का बादल,
बारिस में कड़कती बिजली की आवाज है तेरी पायल।
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ऐ! दोस्त तेरे शिवा
इस जहां में नही कोई अपना
जिंदगी ऐसा लगता है
मानो जैसे कोई सपना।
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