तोर-मोर मया गोरी कलिंदर चानी,
पहली मया के गोठ हावय आनी-बानी।
गर्मी ले प्यास गोरी लाल कलिंदर,
प्यास लागत हे मोला पियादे मया के पानी।
चढ़गे हे गर्मी भरे हे कलिंदर में रस,
तोर-मोर मया चीन्हा गोरी चलत हावय बस।
एतका दिन ले तरसाये मोला, अऊ कतका तड़पाबे।
अभी मया के इजहार कर ले गोरी नई तो पाछु पछ्ताबे।
🌹अशवनी साहू🌹
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