मुझे तुमसे प्यार नही ये मैं कहता रहा,
चुपके-चुपके मैं तुम्ही से प्यार करता रहा।
चुपके-चुपके मैं तुम्ही से प्यार करता रहा।
अपने मन-ही-मन में उठें विचारो से लड़ता रहा,
क्या कहेगा जमाना इसी बात से डरता रहा।
क्या कहेगा जमाना इसी बात से डरता रहा।
तड़प-तड़प कर तुमको पाने के लिये मरता रहा,
पर फिर ना जाने मैं तुमसे प्यार नही कहता रहा।
पर फिर ना जाने मैं तुमसे प्यार नही कहता रहा।
मोहब्बत के समंदर में प्यार की लहर बहता रहा,
सिर्फ तेरे प्यार के खातिर सारे दुःख सहता रहा।
सिर्फ तेरे प्यार के खातिर सारे दुःख सहता रहा।
^*अशवनी साहू*^
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