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सपनो की समय यात्रा

शाम का समय था और शीतल ठंडी हवाएं चल रही थी जहां खुले आसमान के नीचे जहां तक नजर जा रही थी हर तरफ सुंदर हरी घास  से सजा हुआ मैदान दिखाई पड़ रहा था।
उस मैदान पर मैं बिना चप्पल के ही टहल रहा था घास के ऊपर टहलने से ऐसा महसूस हो रहा था मानो मखमली चादर बिछा हुआ हो।
टहलते-टहलते मुझे थोड़ी सी थकान महसूस हुई और मैं सुस्ताने के लिए मख़मल सी हरी घास के ऊपर अपनी थकान दुर करने के लिये लेट गया।
मैदान में मखमली घास पर लेटने के बाद शीतल हवाओं का स्पर्श बहुत ही शांति देने वाला था।
लेटे-लेटे अचानक से मेरी आँख बंद हो गई और मैं उस मैदान के ऊपर ही सो गया। और गहरी नींद में खो गया।
मैं नींद में ऐसे खोया की आस-पास क्या चल रहा है ध्यान ही नही रहा। और मैं सपनो की दुनियां में निकल पड़ा समय की यात्रा पर।
मैं सपनो में खोये हुए पहुँच गया भूतकाल के राजा और महाराजाओ की दुनिया मे जहां पर मैंने प्रवेश किया एक बहुत ही सुंदर नगरी में जो पुरी तरह से सोने का बना हुआ था।
जहां कई प्रवेश दुवार बने हुये थे और हर दरवाजे पर दुवारपाल खड़े हुये, और फल-फूल से सजे हुए वहां के सुंदर बगीचे जहां पर मैने कई मीठे फल खाये फिर थोड़ा आराम कर आगे बढ़ा और राजा के महल के करीब पहुंच गया,
महल के पास पहुँचते ही सैनिको ने मुझे पकड़ लिया और मुझसे राज्य में आने का कारण पुछा।
परन्तु मेरे पास कोई कारण नही होने के कारण मुझे चोर समझ कर बेड़ियों से बांधकर मजदूर की तरह काम करने के लिए छोड़ दिया।
जहां पर मुझे उस सुंदर और धन-धान्य से भरे नगरी के बारे में धीरे-धीरे पता चला कि वहाँ का राजा बहुत ही दुराचारी और पापी था वह अपने राज्य की प्रजा के साथ बहुत ही दुर्व्यवहार करता था, अय्याश होने के करण वह राज्य की बहन बेटियों की इज्ज़त से खेलता था और उनको शारिरिक, मानशिक प्रताड़ित करता था। जो भी व्यक्ति राजा को समझने की कोशिश करता था वह उनको भी दण्डित करता था
मैं उनके जंजीरो में बंधा काम रहा था और एक दिन काम करते-करते उस राज्य की सीमा पर जा पहुंचा जहां पर मैने
देखा कि उस राजा के सताये हुये हजारो लोग राज्य के सीमा के बाहर एक पंडित की शरण मे रह रहे थे।
जहां पर सब लोग मिलकर खेती करते थे और भगवान से उस राजा के अत्याचार को खत्म करने के लिए दुवाएँ मांगा करते थे।
फिर एक दिन समय का पहिया घूम गया और भगवान ने राजा के सताये लोगो की दुआ कबूल कर ली और राजा को कोड जैसी खतरनाक छूत की बीमारी ने ग्रसित कर लिया जिसके कारण राजा के सम्पर्क में आने वाले लोगो को भी कोड होने लगा और लोग मरने लगे और बाकी लोग राज्य को छोड़कर पंडित की शरण मे जा पहुँचे।
लोगो की इस तरह से एक साथ उमड़ी भीड़ को देख पंडित ने उनसे पुछा की क्या बात है आप सब लोग एक साथ राज्य छोड़कर यहां क्यों आ गये, तब लोगो ने पंडित को बताया कि पापी राजा को कोड हो गया है जिसके कारण उसके सम्पर्क में आने वाले लोगो की भी मौत हो रही है। इसलिए हम अपने आपको को बचाने के लिए आपके पास आये है।
यह बात सुन पंडित को बहुत दुख हुआ और उन्होंने लोगो को समझाने की कोशिश की उनको इस तरह अपने राजा को दुख के समय पर छोड़ के नही आना चाहिए था ।
पंडित ने सब लोगो को अपने साथ लेकर राजा के पास जा पहुंचा जहां पर राजा ने अपनी गलती स्वीकार करते हुये सब से अपने कर्मो के लिए माफी मांगी और अपने प्राण त्याग दिये।
और राजा के मरने के बाद उस राज्य को संभालने के लिए पंडित को राजा बना दिया। और फिर मेरी नींद खुल गई और मेरा सपना टूट गया।
अशवनी कुमार साहू  *ऑस्टिन*


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