मैं ठहरा रहा समुंदर के किनारे पर, पर वक्त का दरिया बहता रहा। खामोश थी समुंदर की लहरें, और चुपचाप से कुछ कहता रहा। खड़ा रहा मैं अनजान बनकर चुपचाप, देखकर मेरी उदासी, वो इशारा कर गया। सहमा रहा दुनियां के डर से, मैं यही हूँ, और सब कुछ बह गया। 🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻 🎍🌹अशवनी साहू 🌹🎍
🙏🌹 * किरीया * 🌹🙏 🌸नई कहव तोला किरिया खाय बर। नई कहव तोला मर के देखाय बर।। 🌸कर के झन कर तै मोर संग प्यार। मैं तो मर्थव रे टुरी तोला पाय बर।। 🌸सुरता आथस तै मोला सुरताय बर। सपना में आथस नींद ले जगाय बर।। 🌸देखे बर तोला रे नैना मोर तरस जाथे। एक बार आजा दरस देखाय बर।। 🌸मया के मीठ-मीठ गीत गाय बर। मोर अंतस के बात ला बताये बर।। 🌸अब कर तहि गोरी कोनो उपाय। का करव दिल के हाल सुनाय बर।। 🌸नई कहव तोला प्यास बुझाय बर। नई कहव तोला दिल धड़काय बर।। 🌸तोर सूरता के मा...
बहुत सुंदर कविता
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