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सच

मैं हमेशा कहता था,
कि नही देखता।
यही बोल-बोल कर
हर रोज था फेकता।

कहने को यह बात है,
बहुत ही बुरी।
लोग चौराहें पर बैठ
अपनी आंखे है सकता।

लोग कहते है किसी की,
बहन बेटियों को देखना,
गलत बात है।
पर वो खुद ही सबको,
गलत निगाहों से देखता।

*अशवनी साहू*


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