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दो अजनबी

उन दिनों आशी अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर चुका था और आगे पढ़ना चाहता था पर वह बहुत ही शर्मीला लड़का था और घर की हालात ठीक नही होने के कारण अपनी आगे की पढ़ाई के लिए चिंतित था, घर की जिम्मेदारी भी उसके ऊपर था।शर्मिला होने के कारण वह अपनी बात किसी से नही कर पा रहा था।

फिर आशी ने इस बात को लेकर अपने दोस्तों के साथ चर्चा की, दोस्तों ने बताया की वह शहर जाकर काम के साथ-साथ अपनी आगे के पढ़ाई पुरी कर सकता है।

उसके बाद आशी ने शहर जाने की बात घर वालो को बताई की वह शहर जाकर काम करना चाहता है और साथ ही साथ अपनी पढ़ाई भी पुरी करना चाहता है।

घर के हालात को ठीक करने लिए आशी अपने माता-पिता के सामने अपनी पेशकश रख दिया था।

पर ऐसे अकेले बेटे को शहर भेजना माता-पिता को ठीक नही लग रहा था क्योंकि वह शहर के लिये नया था माँ को चिंता होने लगी मन मे हजारो सवाल रह रहकर उठने लगे।
पर आशी का शहर जाना तो समय की मांग थी।

अन्ततः आशी अपने मन मे हजारो सपने लिए शहर पहुंच गया,
जहां पर उसने अपने लिये एक छोटी सी नौकरी ढूंढ़ लिया और कॉलेज में भर्ती भी हो गया और काम के साथ उसने अपनी आगे की पढ़ाई शुरू कर दी।

साथ ही घर के हालात को सुधारने में मदद किया।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और आशी ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई  को काम के साथ अच्छे से पुरा कर लिया।
साथ ही उन्होनें अपनी नौकरी बदल लिया जिससे की उसके घरेलू स्थिति में सुधार आया।

वही दुसरी ओर उसी शहर की रहने वाली लड़की जिसका नाम गोपी था वह बहुत खूबसूरत थी देखो तो मन करता था कि बस देखता ही रहूं । अपने मन मे हजारो सपने संजोए वहाँ पहुँच गई जहां पर आशी काम करता था।
आशी गांव का रहने वाला भले ही था पर वह बहुत होशियार था शहर में रहकर और काम करके और भी ज्यादा समझदार हो गया था।

और उसको काम भी काफी अनुभव था जिससे उसको नये कम्पनी में मैनेजर का पद मिला था।

वहां पर आशी ओर लोगो की तरह गोपी का भी मैनेजर था।
जहां पर बाकी लोगो के साथ-साथ काम-काज को लेकर आशी की बात गोपी से होती थी।

और फिर हर साल जैसे उस साल भी परिचय सम्मेलन का कार्यक्रम कम्पनी के द्वारा रखा गया।
जहां पर सब लोगो ने एक-एक कर अपना परिचय सांझा किया जहाँ पर गोपी ने बताया की वह बड़े घराने की लड़की है।

आशी अपने साथ काम करने वाले लोगो को काम सीखाता और   ऑफिस से जुड़े सारी चीजों की जानकारी सबको देता था।
साथ ही वह औरतों की बहुत इज्जत करता था।
पर ऑफिस में कुछ ऐसे लोग भी जिनकी आदतें अच्छी नही थी।
जो लोग गोपी को बहुत परेशान किया करते थे उसका नम्बर मांगना।
पर आशी को सबकी आदतों का पता था तो वह सबको समझा कर चलता था।

और फिर उसकी यही समझदारी गोपी को भा गई और वो आशी से प्यार कर बैठी।

और इस बात का पता आशी को चल गया,
आशी गोपी के बातचीत और उसके काम करने के बदले तरीके को देखकर समझ गया था कि गोपी मुझसे प्रेम करने लगी है पर आशी उस प्रकार का लड़का था।
और लड़कियों व औरतों की बहुत इज्जत करता था, वह किसी की बदनामी नही चाहता था।
इसलिये उसने इन सब बातों पर ध्यान नही दिया।
पर गोपी आशी को मन ही मन चाहती थी उसको आशी के लिए प्यार की तड़प थी,

गोपी की आशी के लिये तड़प बढ़ता ही गया जिसके कारण वह अपने आप को रोक नही पाई।
फिर वो दिन भी आ गया जब गोपी ने आशी से अपने प्यार का इज़हार किया।

           *अशवनी साहू*


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