Namaste, I am ashwani kumar sahu *Austin*
घने जंगलों में बसता था गांव, अब एक छांव नही।
मिलो चलकर चले जाते थे लोग, अब एक पांव नही।।
पहले जैसी........................................!
उजड़ गया गांव जंगल, शहर में एक पल आराम नही।
लगा ली करोड़ों की फैक्ट्री, सुरक्षा इंतजाम नही।।
पहले जैसी........................................!
मुस्कुरा कर बात करते थे, पर किसी का मन साफ नही।
पहले होती थी माफी, अब करता कोई माफ नही।।
पहले जैसी........................................!
लोग पहले सत्य बोलते थे, अब सच कोई ईमान नही।
धोखाधड़ी से होता है काम, आज के जैसा कोई बेईमान नही।।
पहले जैसी........................................!
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