प्रिय चाय,
मेरे दिन की शुरुआत तुमसे करता हूं,
मेरी शाम भी तुम्ही से ढलता है।
आ जाते है मेहमान कभी घरों में तो,
उनका व्यवहार भी तुम्ही से चलता है।
थकावट चाहे कितनी और कैसी हो,
तुम्हारी एक शीप बदन में ऊर्जा भर देता है।
तुम्हारे भी करोड़ो दीवाने है,
तुम्हारे साथ छुटने के नाम से डरता है।
दुनियां की हर दिशा में तुम्हारा ही नशा है,
तुम्हारे हजारो नाम का सभी जगह चर्चा है।
अशवनी कुमार साहू*ऑस्टीन*
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