मैं ठहरा रहा समुंदर के किनारे पर, पर वक्त का दरिया बहता रहा। खामोश थी समुंदर की लहरें, और चुपचाप से कुछ कहता रहा। खड़ा रहा मैं अनजान बनकर चुपचाप, देखकर मेरी उदासी, वो इशारा कर गया। सहमा रहा दुनियां के डर से, मैं यही हूँ, और सब कुछ बह गया। 🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻 🎍🌹अशवनी साहू 🌹🎍
बहुत सुंदर भाई
ReplyDeleteThanks you bhai
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