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ठिकाना

यहां हम मुसाफिर है यारो, ना घर है ना ठिकाना। मुस्कुराते हुए इस जहाँ में, बस है सबको चलते जाना। जीवन की इस राह में, बदलते रहेंगे ठिकाना। कभी यहां है रहना तो, कभी उस जहाँ में है जाना। मुश्किलें हजार आयेंगी जीवन मे, तुम ऐसे ना बदलो ठिकाना। सामना कर लिये जो हिम्मत से, खुशियों से भरा होगा आशियाना।          *अशवनी साहू*

ब्याह

महीना आ गया शादी-ब्याह का, उम्र हो गई शादी लायक गुड्डे-गुड़िया का। चल पड़ी है टोली उसके घर दीदार के लिए, ढूंढने को जीवन साथी मेरे यार के लिए। ना मैंने उनको देखा ना उसने मुझको देखा, उसका लिखा है जो मिल गई हमारी हाथों की रेखा। उसके हा की खबर से मेरे चेहरे की मुस्कान खिल गई, जिनको बनाया था खुदा ने मेरे लिए वो मुझे मिल गई। दोनों परिवारों ने कर ली हमारे रिस्ते की बात, गवन के बाद होगी अब हमारी मुलाकात।            *अशवनी साहू*

रखना ख्याल ।

कुछ पल के लिए दूर हो गए हम, आ गया है जो कोरोना काल, ऐ दोस्त हतास मत होना इस समय मे, तुम रखना अपना और अपनों का ख्याल। यह हम सब के लिए है दुःख की घड़ी, पुरी दुनियां है इससे बेहाल, इससे भी लड़ लेंगे पहले भी हमने है लड़ी, कुछ पल तुम अपना रखना ख्याल। *अशवनी साहू *

किस्मत

किस्मत के भरोसे तुम यूं ना बैठो यारो, किस्मत का खेल निराला है। अपने कर्म के प्रति कर्मशील रहो, कोई ना जाने कल क्या होने वाला है। बिना कर्म किये किसी को इस जहाँ में, किस्मत के भरोसे कुछ नही मिलने वाला है। मत करो भरोसा इस अनजान किस्मत पर, समय आने पर ये भी धोखा देने वाला है। कर जाता है अक्सर सौदेबाजी ये गरीबो से, किस्मत भी अमीरों का साथ देने वाला है। *अशवनी साहू*

पुराना प्यार

आज फिर वो मुझे रास्ते मे मिल गई, अचानक नजर पड़ी उसके ऊपर, देखकर उसे मेरी रूह हिल गई। प्यार के धोखा ने उसे कर दिया था घायल, फ़टे हुए थे कपड़े सुंदरता खो दिया, ऐसा असर हुआ कि दिमाग में हुई पागल। *अशवनी साहू*

मिटने नही देना

मिटने नही देना बिसरी हुई प्रीत को, प्यार तो युगों से चला आ रहा है, ऐ प्रेमिओ चलाये रखना इस रीत को। भूल ना जाना कभी किसी और बात में, उसको देखकर गुनगुनाते रहना, दूर जाने ना देना गाते रहना प्रेम गीत को।  रुठ जाओ जो कभी एक-दूसरे से, प्रेम की भाषा बोलकर उन्हें, बनाये रखना प्रेम के सारे नीत को।      ^*अशवनी साहू*^

विचार

जो बीत गया उसे दुःखी होकर याद ना कर, आज जो मिला है उसे ऐसे बर्बाद न कर।