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लॉकडाऊन।

देश के जम्मो गांव-गली जम्मो शहर अऊ टाऊन, होगे हावय सुन्ना चलत हे देश म लॉकडाऊन। आये हे भयंकर महामारी डरे हे कोना-कोना, एक-दूसर ल छुये म होथे नाम हे कोरोना। ऐखर ले छुटकारा पाये बर रखना हे सामाजिक दूरी, कखरो बर अच्छा हे कखरो बने हावय मजबूरी। जम्मो डहर चहल-पहल रहय, रहय भीड़-भाड़, नजर भर देख डारेवं कोनो नइहे दिखत हे अकेला सांड। दिन-रात जाग-जाग के बड़ चान्दी-सोना, जम्मो अपन घर मे सुरक्षित रहव आये हे कोरोना। कोरोना के आये ले अऊ जम्मो बीमारी बिसर गे, दुनियां के धोवई होके जम्मो चुक-चुक ले निखर गे। दुनियां के जम्मो नेता कहत हे घर म रहव बाहिर हे कोरोना, रोज नवां-नवां वादा करत हे जेखर ले गरीब के हे रोना। *अशवनी साहू*

आजादी

आजादी को सौ साल पूरा होने को आया, रूढ़ि और जाति वाद के सोच से आजाद न हो पाया। मर सी गई है इंसानियत, मरने के बाद आजादी शहीदों के, आज भी है समाज के बीच शैतान जो लोगो को गुलाम बनाया है। पर विश्वास है मुझे एक दिन, गुलामी हट जाएगा, जाति को छोड़ देश मे, इंसानियत को पूजा जाएगा। कुछ देर लगेगा भले लोगो को, पर एक दिन सबको समझ आ जायेगा। 🙏🌹अशवनी साहू🌹🙏

राजनीति

कह रही है चिख-चिख कर,            राजनीति भी अपनी आप बीती। होती पवित्र मैं भी गंगा की तरह,             अगर बेचा नही होता इन दलालो ने। नोचा मुझे गोरो ने कुत्ते की तरह,             शिकायत मैं किससे करूँ, बेचा मेरे लालो ने। मैंने सबको अपना सन्तान समझा,            दिया सबको सामान अधिकार। पर मेरी ही सन्तानो ने,            गैर समझ किया मुझ पर अत्याचार। उम्मीद थी मुझे मेरे सन्तानो से,             बनेंगे सहारा मेरी बुढापे का। उपयोग कर अपने फायदे के लिए,             फेंक दिया मुझे मेरे लालो ने। 🎍अशवनी साहू🎍

व्यवहार

सभ्य समाज की पहचान है व्यवहार, कुछ होते है अच्छे, कुछ है बेकार। अच्छाई ने दिया सबको समानता, कुछ अभिशाप है जिनके गन्दे है विचार। कहीं पर हुई गरीबो की मदद, वही कुछ ने किया इन पर किया अत्याचार। खत्म करना होगा "लोगो को नही" उनके विचार, जो समाज को बना देता है बेबस और लाचार। 🎍🙏अशवनी साहू🙏🎍

रिटेल बॉस

बॉस कहे सेल दो पेल दो-पेल दो, टाइम-पास करने वालो को झेल दो। खाली क्यो हो स्टॉक नही है वो लगाओ, लंच टाईम हो गया है जाओ लंच खाओ। बिल बड़ा ना सही, जो ग्राहक है, उनसे बात करो छोटा बिल बनाओ। 🙏🤫अशवनी साहू🤫🙏

माँ

बड़े खुशनशीब है वो जिनको माँ की गोद नशीब होती है, माँ की आवाज सुनकर अपने बच्चे की जुबां पर,  माँ भी चैन से सोती है। 🙏🌷अशवनी साहू🌷🙏

दधीचि

यू तो कितने हुए इस जहां अनेक, पर वो महाऋषि हुए जिनके हृदय थे नेक। अपनी हड्डी दान देकर दधीचि बने महान, आज के युग मे ऐसे लोग मिलते है कहां। जिन्होंने माना भोलेनाथ को अपना कुलदेवता, दक्ष के सभा मे आने को भोलेनाथ को दिया नेवता। *अशवनी साहू*