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तेरे टक्कर की बीमारी है आई।

ना तेरा कोई ईलाज है, ना है कोई दवाई,                    ऐ-इश्क !        तेरे टक्कर की बीमारी है आई। संयम से घर पर रहने में, है सबकी भलाई।           बेवजह निकले सड़क पे तो,              जिंदगी से होगी विदाई। ऐ! धर्म के ठेकेदारों जरा संभलो नही रहेगी खूदाई,                आपस मे दूरी बनाकर रहो,                      कोरोना है आई। सावधान रहना है हम सबको,            ना सहनी पड़े अपनो की जुदाई, छुए किसी भी चीज को, तो साबुन करे धुलाई। देश के योद्धाओं ने, हमारी सुरक्षा के इंतजाम है लगाई,                   हराना के दिखाना है कोरोना को,               देश के शान की बात है भाई।             ...

लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी।

न आस कम है न प्यास कम है जिंदगी में, आज वक्त फिसलता जा रहा है क्योंकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी। यू तो बहुत हुई बारिश जिंदगी, पर मेरी प्यास न बुझा सकी क्योकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी। दूर से अलग दिखता है, जीवन का मरुस्थल क्योकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी। आंखों का धोखा रेगिस्तान में, दूर से पानी का दिखना क्योकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी। बुझा न सका प्यास समुंदर भी, अपने अंदर रख के क्योकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी। कोशिश की बहुत सी नदियों ने, बहा लिया अपने साथ क्योकि। लगता है रेत सी हो गई है जिंदगी।                 🍸🍸🍸🍸🥃🍸🍸🍸🍸               🥃🍸🥃अशवनी साहू🥃🍸🥃

मेरा फोन।

तुम कहती थी रोज, कि हम आपके है कौन। खत्म हुआ घडी इंतजार का, लो आ गया मेरा फोन। वो दीवानी थी मेरी, जिसको लग गया फोन। फोन उठाकर बोली पगली, हैलो आप कौन। तो हमने भी कह दिया, पहचानी नही मुझे। मैं तुम्हारा आशिक, चाहने वाला और कौन। सुनते ही आशिक शब्द, बोली नम्बर है अननोन। मोहब्बत है तुमको, इसलिये उठा लिया मेरा फोन। पता नही दे सकती घर का, तो बुला लो अपना होम। सारी शिकायत दूर हो जायेगी, नही लाऊंगा कोई फोन। अगली बार कॉल मत करना, यही कहा नही लिया है लोन। चुका दे प्यार की पहली किस्त पगली, नही आएगा फोन।                  🎍🎍🎍🎍🌹🎍🎍🎍🎍                     🙏🌹अशवनी साहू🌹🙏

अऊ आगु बढ़ी

हमर भाखा हमर बोली हावय भईया छत्तीसगढ़ी। एतका दिन ले जइसे आगु बडिस, अभी अऊ आगु बढ़ी। श्री मुकुरधर जइसे कविता लिखही, वीर नारायण जइसे लड़ही। बदलत हे बेरा संगी, छत्तीसगढ़ अभी अऊ आगु बढ़ी। पढ़े-लिखे हे आज जम्मो इहाँ, नइहे कोनो अढहा-अढही। सँस्कृत, हिंदी-अंग्रेजी पढ़, अभी अऊ आगु बढ़ी। अविश्वसनीय हे हमर छत्तीसगढ़ भैया, नवा छत्तीसगढ़ गड़ही। भिलाई  स्टील, कोरबाराय के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी। सब कुछ हावय इहाँ संगी, तो काबर कखरो ले डरहीं। जंगल-सफारी अऊ कानन के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी। रतनपुर, डोंगरगढ़ चारो दिशा ले देवी-देवता रक्षा करही। पर्यटन अऊ तीर्थ स्थल के संग, अभी अऊ आगु बढ़ी।                   🏯🏯🏯🏟🚊🏟🏯🏯🏯                      🎍🌹अशवनी साहू🌹🎍

थी बस तेरी आहट।

तुमको मैं भुला न सका, ये थी मेरी चाहत। नजर उठा के देखा तो, थी बस तेरी आहट। हमेशा याद आती है, मुझे तेरी होठों की मुस्कुराहट। मैंने भी मुस्कुरा के देखा, थी बस तेरी आहट। पहली मुलाकात की, तेरी वो घबराहट। बाहें फैला के देखा तो, थी बस तेरी आहट। तेरी नजरो में देखा था, थी बहुत चाहत। इस दिल को आज भी सुनाई देता है, बस तेरी आहट। तुमने जो रूठने की, मुझसे की शरारत। गया जो मनाने तुमको तो, थी बस तेरी आहट। करता रहा हमारे प्यार के लिए, खुदा से ईबादत। ऐसा लगा तुम आ गई, बस थी तेरी आहट। बिता कर कुछ पल तुम्हारे साथ, हो गई तेरी आदत। महसूस जो किया तुमको, तो थी बस तेरी आहट                         🎍💑💑🌹💑💑🎍                            🎍अशवनी साहू🎍

🏄🏻🏄🏻

मैं ठहरा रहा समुंदर के किनारे पर, पर वक्त का दरिया बहता रहा। खामोश थी समुंदर की लहरें, और चुपचाप से कुछ कहता रहा। खड़ा रहा मैं अनजान बनकर चुपचाप, देखकर मेरी उदासी, वो इशारा कर गया। सहमा रहा दुनियां के डर से, मैं यही हूँ, और सब कुछ बह गया। 🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻🏄🏻 🎍🌹अशवनी साहू 🌹🎍

🌹प्यार की याद🌹

कुछ इस तरह से हुई, हमारे मोहब्बत की शुरुवात। मैं देखता रह गया, और तुमने कह दी अपने दिल की बात। हमारी पहली मुलाकात का, क्या वो खूबसूरत नज़ारा था। ऊगता हुआ सूरज था, मोहब्बत भरा समुंदर का किनारा था। जब से मिले थे हम, हर दिन होता था प्यार की सौगात। चैन एक पल भी नही मिलता, जब तक नही होती तुमसे बात। मिलने की चाहत में तुमसे, जागकर बिताई है हमने कई रात। याद आती है मुझे आज भी, हमारी हर एक मुलाकात। वक्त खुशी से बीत रहा था, पता नही था संसार का। हम तो मोहब्बत में अंधा हो गए, और क्या हो गया प्यार का। प्यार इतना था कि, हम एक-दूसरे के बाहों में जकड़ गये। लगी जो किसकी नजर बुरी, कि हम पल भर में बिछड़ गये।                   🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹                      🌻🌹अशवनी साहू🌹🌻