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Showing posts from April, 2020

लॉकडाऊन।

देश के जम्मो गांव-गली जम्मो शहर अऊ टाऊन, होगे हावय सुन्ना चलत हे देश म लॉकडाऊन। आये हे भयंकर महामारी डरे हे कोना-कोना, एक-दूसर ल छुये म होथे नाम हे कोरोना। ऐखर ले छुटकारा पाये बर रखना हे सामाजिक दूरी, कखरो बर अच्छा हे कखरो बने हावय मजबूरी। जम्मो डहर चहल-पहल रहय, रहय भीड़-भाड़, नजर भर देख डारेवं कोनो नइहे दिखत हे अकेला सांड। दिन-रात जाग-जाग के बड़ चान्दी-सोना, जम्मो अपन घर मे सुरक्षित रहव आये हे कोरोना। कोरोना के आये ले अऊ जम्मो बीमारी बिसर गे, दुनियां के धोवई होके जम्मो चुक-चुक ले निखर गे। दुनियां के जम्मो नेता कहत हे घर म रहव बाहिर हे कोरोना, रोज नवां-नवां वादा करत हे जेखर ले गरीब के हे रोना। *अशवनी साहू*

आजादी

आजादी को सौ साल पूरा होने को आया, रूढ़ि और जाति वाद के सोच से आजाद न हो पाया। मर सी गई है इंसानियत, मरने के बाद आजादी शहीदों के, आज भी है समाज के बीच शैतान जो लोगो को गुलाम बनाया है। पर विश्वास है मुझे एक दिन, गुलामी हट जाएगा, जाति को छोड़ देश मे, इंसानियत को पूजा जाएगा। कुछ देर लगेगा भले लोगो को, पर एक दिन सबको समझ आ जायेगा। 🙏🌹अशवनी साहू🌹🙏

राजनीति

कह रही है चिख-चिख कर,            राजनीति भी अपनी आप बीती। होती पवित्र मैं भी गंगा की तरह,             अगर बेचा नही होता इन दलालो ने। नोचा मुझे गोरो ने कुत्ते की तरह,             शिकायत मैं किससे करूँ, बेचा मेरे लालो ने। मैंने सबको अपना सन्तान समझा,            दिया सबको सामान अधिकार। पर मेरी ही सन्तानो ने,            गैर समझ किया मुझ पर अत्याचार। उम्मीद थी मुझे मेरे सन्तानो से,             बनेंगे सहारा मेरी बुढापे का। उपयोग कर अपने फायदे के लिए,             फेंक दिया मुझे मेरे लालो ने। 🎍अशवनी साहू🎍

व्यवहार

सभ्य समाज की पहचान है व्यवहार, कुछ होते है अच्छे, कुछ है बेकार। अच्छाई ने दिया सबको समानता, कुछ अभिशाप है जिनके गन्दे है विचार। कहीं पर हुई गरीबो की मदद, वही कुछ ने किया इन पर किया अत्याचार। खत्म करना होगा "लोगो को नही" उनके विचार, जो समाज को बना देता है बेबस और लाचार। 🎍🙏अशवनी साहू🙏🎍

रिटेल बॉस

बॉस कहे सेल दो पेल दो-पेल दो, टाइम-पास करने वालो को झेल दो। खाली क्यो हो स्टॉक नही है वो लगाओ, लंच टाईम हो गया है जाओ लंच खाओ। बिल बड़ा ना सही, जो ग्राहक है, उनसे बात करो छोटा बिल बनाओ। 🙏🤫अशवनी साहू🤫🙏

माँ

बड़े खुशनशीब है वो जिनको माँ की गोद नशीब होती है, माँ की आवाज सुनकर अपने बच्चे की जुबां पर,  माँ भी चैन से सोती है। 🙏🌷अशवनी साहू🌷🙏

दधीचि

यू तो कितने हुए इस जहां अनेक, पर वो महाऋषि हुए जिनके हृदय थे नेक। अपनी हड्डी दान देकर दधीचि बने महान, आज के युग मे ऐसे लोग मिलते है कहां। जिन्होंने माना भोलेनाथ को अपना कुलदेवता, दक्ष के सभा मे आने को भोलेनाथ को दिया नेवता। *अशवनी साहू*

यार की बारात

जाने को तैयार है लेने दुल्हन को, यारों की बारात, लाएंगे दुल्हन की बहन यारो को उसके साथ। दूल्हे ने दुल्हन के लिए धोती कुर्ता सिर पे है शहरा। राधा-कृष्ण के जैसा दोनों के बीच प्यार हो गहरा। निकल पड़े है करने मस्ती यार की बारात में। नाचेंगे-गायेंगे दोस्त की सालियों के साथ मे। होगी दुल्हन की बिदाई फेरा रात में। कुछ खुशी के पल बिताएंगे हमारे के साथ मे।                     ^*अशवनी साहू*^

बचपन के दिन

सूरता आवत बड़ वो बचपन के दिन। खेलेन खेल रेस-टिप गिनती गिन-गिन। संगवारी मन के झगड़ा मातय छीन-छीन। लावन धान चुरकी भर सिला बिन-बिन। तरिया म मछरी फ़सएन धरे गेंगरूवा गरी। सुवा नाचे बर जाय गाये गाना नाना तरी-हरि। भात खवाई चलय दिन भर छीन-छीन। मंझनिया भर के खेल चलय गिन-गिन। अशवनी साहू

❤️प्रेम❤️

करता हूं मैं तुमसे मोहब्बत, गर मर जाऊँ तो कोई गम नही। कभी साथ नही छोड़ेंगे तुम्हारा, क्योकि औरो की तरह हम नही। थाम लिया गर हाथ तुम्हारा तो, छुड़ा सके किसी के बाप में इतना दम नही। लोग मोहब्बत की मिशाल बहुत देते है साहब, हम भी किसी रोमियो से कम नही । 🌹🌻अशवनी साहू🌻🌹

प्रेम

तुमसे दूर होकर हुआ मुझे एहसास, तेरे साथ बिताया हर लम्हा है खास। प्यास है मुझे तेरी मोहब्बत का, और भरा हुआ है समन्दर आसपास। कोशिश बहुत कर रहा हूं खुश रहने का, पर दिल के किसी कोने में, जिन्दगी है बहुत उदास। आ जा पगली दौड़ के गले लग जा, इससे पहले की,  कही सचमुच टूट ना जाये विश्वास।              ☀️🌷अशवनी साहू🌷☀️

आंसू है अनमोल।

ऐसे ना बहने दे पगली,                  तेरे आंसू है अनमोल। प्यार तुमसे कर बैठे पगली,                  करते-करते मखौल। कोई दर्द है तेरे सीने में गर,                      तो एक बार बोल। सिर्फ तेरे लिए,        प्यार के हर रास्ते देंगे हम खोल। यू घुट-घुट के             रोते नही देख सकता तुमको। क्योंकि मेरे लिए,              तेरे आंसू है अनमोल। ये जो बह रहे है तेरे आंसू,                मोतियों की बूंदों सी। छिपा के मत रख दर्द को                 तेरे आंसू है अनमोल।                🌹अशवनी साहू🌹

जल

गर धरती पर जल है, चेहरे पे मुस्कान लिया होगा, तो जीवन मे आज-कल है। इसके बिना दुनियां मरुस्थल है, जल के बिन प्यासा हर पल है। पीने के लिये पानी है आज, कुआं तो नही है पर, कही मोटर तो कही पर नल है। प्यास से तड़प रहा है, पानी से भरा समन्दर, क्योकि पीने के लिए कम जल है। व्यर्थ न बहाएं संग्रह करे जल, नई पीढ़ी का जीवन,  बेहतर होगा कल। सुख जो गया पृथ्वी से जल, मच जाएगा हाहाकार, बन्द हो जाएगा धरती पर हलचल। 🌹अशवनी साहू🌹

आ अब घर लौट चले।

बहुत दूर आ गये है हम, अपने घर के छांव तले, आ अब घर लौट चले। कब तक ऐसे भटकते रहेंगे, हमारे अपनो से दूर रहकर, आ अब घर लौट चले। सुबह के भूले है हम,  शाम को नही कहेगा कि भुले, आ अब घर लौट चले। थी कुछ गलतफहमियां अपनो के बीच, दूर कर लेंगे हम मिलकर गले, आ अब घर लौट चले। होंगी सारी गलती माफ, आंसू होंगे खुशी नैनो  तले, आ अब घर लौट चले।  जो की थी गलतियां नही होगी, खुशी के लिए कुछ झगड़े ही भले, आ अब घर लौट चले। 🎍अशवनी साहू🎍

जिन्दगी

कहां से चले थे कहां पहुंच गई जिंदगी। खुशी की तलाश में उदास है जिंदगी। यू ना व्यर्थ गवाएँ खोज में अपनी जिंदगी। आज अभी को जिये गर खुशी से, तो खुशहाल है जिन्दगी। अकेलेपन को ना बनने दे अपने गम का कारण। एकांत का सदुपयोग करे तो बहाल है जिन्दगी। राहों पर चले तो मुस्कुरा कर बात करते रहे। आपकी मुस्कुराहट से ही खुशहाल है जिन्दगी। दुःख तो एक हिस्सा है, खुशी को आभास कराने का। इतनी सी बात को जो समझ गया तो निहाल है जिंदगी। जीवन के इस सफर में तकलीफो का भंडार है। हल्की सी मुस्कान हो होंठो पर तो आसान है जिंदगी। *अशवनी साहू*

पतझड़

पतझड़ का आना बसन्त की शुरुवात है। जमी पर बिखरे पत्तियां भी खास है। मुरझाने से फूल के, भौंरा का मन उदास। भिन-भीना रहा है, फूल जिसके पास है। धीमी बारिस में ऊपज रही ये हरी घास है। इस पतझड़ के बाद हरियाली का आस है।          🌹अशवनी साहू🌹

🎍प्रेम🎍

समझ नही आता इस मोहब्बत को क्या नाम दूं, सच मे मोहब्बत ही था,  कि बस एक आंखों का धोखा। तुमको जितना मैने चाहा कोई नही चाहेगा, हम तो सह गये पर क्या वो इतना दर्द सहन  कर पायेगा। 2 जउन दिन बोले मोला छोड़े के बात, सुते नई हव जगेंव मैं वो पुरा रात।म यारू मन के गोठ-बात                  दिन तो कट जाथे, बड़ मुश्किल म कटथे रात।

तेरी पायल।

गुजरा जब भी मैं तेरी गलीयों से, छम-छम बजती है तेरी पायल। क्या जादू  है तेरी हिरणी सी अंखियों में, मिलती है मेरी नजरो से और हो जाता हूँ घायल। रोकता हुँ बहुत तेरी गलियों में जाने से, तेरी पायल की छम-छम मेरे कानों में आने से। छाया हुआ है हर तरफ प्यार का बादल, बारिस में कड़कती बिजली की आवाज है तेरी पायल। 2 ऐ! दोस्त तेरे शिवा                       इस जहां में नही कोई अपना जिंदगी ऐसा लगता है             मानो जैसे कोई सपना।

मया के परीक्षा।

तोर-मोर मिलन रहिस             गोरी भगवान के इच्छा। आज दुनियां वाले मन मांगत हे,                          हमर मया के परीक्षा। बइठे हावय समाज गोरी,                   पुरा होही शिक्षा। चल तइयार हो,      जाबो देबर मया के परीक्षा। ये तोर शहर नोहय गोरी,           आय हमर गांव देहात। बताय बर लगही दाई-ददा के नाम,            अऊ पुछही तोर जात। आज तोला मौका हे गोरी,             बता इंसानियत बड़े होथे न कि जात। मया म सब बराबर हे,        एमा छोटे बड़े के नइहे कोनो बात। जब इंसान ही नई रही तो,        कहा रही ये जात-समाज। अब समय बहुत बदल गे हे,        सोच बदले के जरूरत हे आज। रक्षा करबो एक-दूसर के,           तभे बनही एक भव्य...

तोर लहुट-लहुट देखना

तोर लहुट-लहुट देखना मोला भुलात नइहे, कर डारेव लाख उपाय फेर तोर सूरता जात नइहे। का होंगे हावय मोला ये बात कोनो समझ पात नइहे, तोर सूरता म बइहा होगेंव खाना-पीना खवात नइहे। काबर अइसे देखत रहे तै मोला, देखे बर आँखि तरस गे देख डारेव कोला। वाह रे गजब के तोर आँखि कारी-कारी, मोर नजरे-नजर म झूलते रही-रहिके बारी-बारी। मृगनयनी हावय गोरी तोर नयना, मोला सुध नइहे गवां डरेंव मोर चैना। 👁अशवनी साहू👁

तोर-मोर मया गोरी कलिंदर चानी

तोर-मोर मया गोरी कलिंदर चानी, पहली मया के गोठ हावय आनी-बानी। गर्मी ले प्यास गोरी लाल कलिंदर, प्यास लागत हे मोला पियादे मया के पानी। चढ़गे हे गर्मी भरे हे कलिंदर में रस, तोर-मोर मया चीन्हा गोरी चलत हावय बस। एतका दिन ले तरसाये मोला, अऊ कतका तड़पाबे। अभी मया के इजहार कर ले गोरी नई तो पाछु पछ्ताबे। 🌹अशवनी साहू🌹

लाज शर्म और हया।

 लाज शर्म और हया, बेचकर कहा यह दौर है नया। बेचकर  इनको वो कहां गया, लाज शर्म और हया। अपनी संस्कृति को छोड़, जिसको तुम कहते हो नया। बदन दिखाने को शान समझे, क्या सचमुच बेच दी हया। आधे बदन पर कपड़ा लपेट, तुम कह रहे हो फ़ैशन। दुसरो की संस्कृति अपना, भूल गये अपना ट्रेडिशन। सोच को छोटी कहकर, खुद कितने छोटे हो गए। बेचकर अच्छी सेहत को, बुद्धि के साथ मोटे हो गए। पहनी है जो तुमने बेशर्मी का लिबास, हो गया तंग आ गई तुमको लाज। शर्म, हया और लाज, अपनी संस्कृति में रखो विश्वास।          🙏 *अशवनी साहू* 🙏

खुशी की तलाश में भटकता रहा मैं दर-बदर।

खुशी की तलाश में भटकता रहा मैं दर-बदर। देखा जो झाँककर तो खुशी बैठी थी मेरे अंदर।। बिछड़ने के गम में कई दिनों तक दुखी हो रोता रहा। कितने दिन बीते याद में कभी जागा और सोता रहा। गम के बदलो में खुशी ढँक गई है मेरे अंदर। बाहर आने को आतुर है खुशियों का समन्दर। उसके जाने से जीवन से सारी खुशी चली गई। दुख तो हुआ बहुत पर अंदर से निकली खुशी नई। मन की चंचलता दिखा रही कही है तूफान बवंडर। खुशी की रोशनी किसी कोने में जगमगा रही मेरे अंदर।   🌹 * अशवनी साहू * 🌹

सारा जहाँ पीछे चल पड़ा।

हमने कदम क्या बढ़ाया सारा जहाँ पीछे चल पड़ा। देखा जो पीछे कौन है सारा जहाँ अपने पीछे खड़ा। हमको लड़ते देख कोरोना से सारा जहां लड़ पड़ा। हम खड़े थे जंग के मैदान में दुनियां अपने पीछे खड़ा। बाते करते नही थक रहे है लोग अपनी एकता अखण्डता का। कुछ अपवाद है जो प्रदर्शन कर रहे है अपनी पखण्डता का। नेकी कर हम भारत वासी देते है सब दरिया में डाल। हमारा अनुकरण कर लोग कहते है ये हमारा है ढाल। बड़ी-बड़ी समस्याओ का निदान कर हमने किया कमाल। पूरी दुनियां अपने पीछे चल रही देखो जरा इनकी चाल। 🌹🎍अशवनी साहू🎍🌹

दीवार।

घर बनाने के लिए बनाई जाती है दीवार। घर टूट जाता है जब हो मतभेद की दीवार। लोगो को महान बनने नही देता अहंकार की दीवार। रिस्तो को मजबूत बनाता है प्यार की दीवार। टूट जाये जिसके कारण अपना घर-परिवार। जीवन मे भूलकर भी न बनाये ऐसी दीवार। लिख जाते है अक्सर लोग उसपे अपने विचार। सँजोकर रखे अपनो को ऐसी होनी चाहिए दीवार। जीवन मे नही होना चाहिए कहता है मेरा विचार। जहाँ की जरूरत कृपया वही बनाये अपना दीवार।                  🏯🏯🏯🏯🏯🏯🏯                          अशवनी साहू

प्यार के दीप है जले।

 हर घर के आंगन मे आज नीले गगन के तले। देखा जो आज तो प्यार के दीप है जले। दिखाने देश की एकता हम एक साथ चले। देखें दुनियां भारत की ओर प्यार के दीप जले। इसके ताप से कोरोना नामक विपदा टले। जले जो प्यार का दीपक देख कोरोना दूर चले। दुनियां जलती है भारत की एकता से तो जले। भारत है सद्भावनाओं का देश, प्यार के दीप जले। हमारी है चाहत भारत के साथ पूरी दुनियां फुले-फले। आप भी जलाओ दीप अपना प्यार के दीप जले। ना मिले गर दिया तो कोई बात नही यारो। जला देना एक लाइट जैसे प्यार के दीप जले।                  🕯️🕯️🕯️🕯️🪔🕯️🕯️🕯️🕯️                     🌹🕯️अशवनी साहू🕯️🌹

चूल्हे की रोटी।

जब भी जला पेट भूख से ,          मुझे याद आई चूल्हे की रोटी। पड़ा था बीमार होकर बिस्तर में,             तो जान बचाई चूल्हे की रोटी। अमीर खाते है भर-भर पेट,            गरीबो को नही मिलता चूल्हे की रोटी। हर कोई करता है मेहनत,           सिर्फ खाने के लिए चूल्हे की रोटी। गरीबो को लूटकर दलालो ने,                   खाई है चूल्हे की रोटी।                    🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪🍪                     🌹🍪अशवनी साहू🍪🌹

बस ये कुछ दिन की दूरी है

बस ये कुछ दिन की दूरी है,           फिर आएगी मिलन की बेला। रब को यही मंजूर था,          इसलिए ये खेल उसने खेला। तुमको पाने की चाहत में,          मैंने भी खुशी से दुःख झेला। बस ये कुछ दिन की दूरी है,           फिर आएगी मिलन की बेला। मोहब्बत में लगा है,          ये जो दिलो का मेला। कल तक हुआ करता था तन्हा,          अब रहता है अकेला। समझा लो तुम अपने दिल को,                    ये  है बहुत जरूरी। सात फेरे हो जाने दो,            फिर होगी हर आरजू पूरी। 🌹अशवनी साहू🌹

जय श्री राम

भगवान श्री राम है सच्चे पुरुषार्थ की मूर्ति। जिनका नाम मात्र लेने से इच्छा की होती है पूर्ति। अज्ञानता के कारण परीक्षा लेने पहुँची माता सती। जो पहचान नही सकी आप ही है आयोध्या पति। जिसमे आपका नाम न हो वो धन-दौलत है बेकार। आपने अपनी लीलाओं में समझाया नासमझ है संसार। आपका नाम मात्र ले लेने से हो जाती नौका पार। अपने चरणों से पत्थर का किया था तुमने उद्धार। मारा था आपने अधर्मी पापी महा दुष्ट रावण। आपकी चरणों की धूल पवित्र है, है बहुत पावन। त्याग कर महल का सुख पुरा किया पिता का वचन। जीत कर रावण की लँका निभाया विभीषण का कसम।                 🎍🎍🎍🎍🙏🎍🎍🎍🎍                    🙏🎍अशवनी साहू🎍🙏

😔 *संवेदना*😔

एक छोटे से गांव में एक 12 साल का लड़का रहता था।  जिसको एक दिन खेलते हुए, एक छोटा सा कुत्ते का  बच्चा  मिल जाता है जो कि, लंगड़ाता है उसको वो 12 साल का बच्चा अपने साथ लेकर जाता है।  यह देखकर एक बुजुर्ग व्यक्ति कहता है कि बेटा तुम इस कुत्ते  का क्या करोगे यह तो तुम्हारे साथ खेल नही पायेगा दौड़ नही पायेगा।  यह सुनकर उस छोटे बच्चे ने बड़ा ही प्यारा जवाब दिया।  दादा  जी आपको शायद पता नही है कि, इससे अच्छा मेरा कोई दोस्त नही बन सकता क्योंकि मैं खुद लंगड़ाता हूँ।  इसलिए मेरे से अच्छा इसकी तकलीफ मुझसे बेहतर कोई समझ नही पायेगा।  यह सुनकर उस और बच्चे की मासूमियत देखकर बुजुर्ग व्यक्ति की आंखों में आँसू भर आया। 🐶🐶🐶🐶🐶🐶🐶🐶 🎍🌹अशवनी साहू🌹🎍

आया है कोरोना, डरने की कोई बात नही।

आया है कोरोना, डरने की कोई बात नही। रहना है सावधान, लड़ने की कोई बात नही। सब लोग घर पर रहे, ना जाये और कही। हौसला बनाये रखे, कोरोना से घबराये नही। एक से दूसरे को होता है कोरोना, ये बात है सही। सोशल डिस्टेंनसिंग बनाये रखे, करीब ना आये कहीं। साबुन हो कोई भी, हाथ धोये जमकर वहीं। मास्क लगा, हाथ जोड़कर बात करना है सही।                            *अशवनी साहू*                             

🌄उजाले का सूरज कल निकलेगा।

🎍🌹🌹🤝🌹🌹🎍 अभी अंधेरा छाया हुआ है,             उजाले का सूरज कल निकलेगा। आई है ये जो विपदा तो,              इसका भी जल्द हल निकलेगा। समय लगेगा थोड़ा समझने में,              सब्र रख आज नही तो कल निकलेगा। इसकी सोच है डराने की, पर घबराना नही,             क्योंकि इसको हराके अपना दल निकलेगा। करते रहे हिम्मत से मुकाबला,              तो हमारे मेहनत का फल निकलेगा। आज छाया हुआ है अंधेरा,           उजाले का सूरज कल निकलेगा। 🎇🎇🎇🎇🌄🎇🎇🎇🎇 🛤🌅अशवनी साहू🌅🛤